नवोदय की कहानी

नवोदय की कहानी
कभी होठों की मुस्कान,
तो कभी आखों का पानी,
कुछ ऐसी ही थी अपने
“नवोदय” की कहानी।
वो 5 बजे की सीटी,
वों रोज़ की मॉर्निंग पीटी,
रुलाती थी तब, अब
यादें हैं मीठी।
वो 6 फीट की नवोदय प्रार्थना,
वो बीच में इधर उधर झाकना।
वो रोज़ का प्रिंसिपल का भाषण,
वो दशहरे का बड़ा सा रावण।
वो होली का डांस,
वो छुपके मोबाइल रखने का चांस,
कभी पकड़े जाने का डर
पर अपनी मस्ती के आगे सब बेअसर।
वो छोटी छोटी बातें, वो
मस्ती भरी रातें,
वो हाउस टीशर्ट बदलना,
वो व्हाइट शूज़ कों चौक से मलना।
वो ब्रेक के पारले जी बिस्किट,
वो सैटर्डे लंच वाली कढ़ी,
किस्से है छोटे मगर
यादें हैं बहुत बड़ी।
वो लाइट जाने के बाद सबका चिल्लना,
वो दोस्तों से लड़ना,वो रूठना मनाना।
कितनी खुशनुमा थीं जिंदगी,
उन यारों में,
जिसे कहा था जेल कभी,
अब समझ आता हैं कितनी
आज़ादी थी उन तारों में।।
शर्त लगी थी खुशियों को एक
लफ्ज़ में लिखने की,
लोग किताबे ढूंढते रह गए
और हमने”नवोदय’ लिख दिया।
समय के गुज़रे पन्नों को,
फिर एक किताब की तरह खोला है,
उसे पढ़कर मेरे दिल का हर कोना,
मै एक #NAVODIYAN हूं बोला है।
वो पंछी है हम नवोदय वाले…..
एक छोटा सा स्कूल, जिनका
संसार हो गया,
साली आजादी मिली पिंजरे से
तब, जब पिंजरे से प्यार हो गया।
– Naincy Shrivastava

Naincy Shrivastava
Alumni Of JNV Kaloi Jhajjar, Haryana
2013-2017
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