नवोदय: एक अनोखा पिंजरा

नवोदय: एक अनोखा पिंजरा
आँखों में आँसूओं का सैलाब लिये
माँ की आँखों का तारा
अपनी बहनों का प्यारा
ये कहानी है उस पंछी की
जो था अपने घर का दुलारा।
नन्हीं सी उम्र में वो तन्हा
सबसे दूर जा रहा था
देखों इक पंछी आज
पिंजरे में कैद हो रहा था!
मग़र वहां की हर बात
निराली थी
कभी शरारतें और मौज मस्ती
तो कभी पढ़ाई की गंभीरता
भारी थी!
कभी एक दूसरे की टाँग खिंचाई
तो अगले ही पल वो
बन जाते भाई भाई।
जाति धर्म के लिहाज़ से
परे था वो जहां
क्योंकि ‘नवोदय’ ही पहचान थी
बस उनकी वहां।
स्कूल की चहलकदमी में वह
बिल्कुल बदल गया था
पर निकाल ये पंछी
अब जवां हो रहा था।
हरगिज़ ये पंछी उस
पिंजरे का आदी हो रहा था
देखो इक पंछी पिंजरें से
ही बेइंतहा मुहब्बत कर बैठा था!
मग़र इस इश्क़ की हवा में
वो बेचारा बहता जा रहा था
न चाहते अब वो पंछी पिंजरें से
आजाद होने जा रहा था।
सात सालों का ये सफर अब
आखिरी मोड़ पर आया था
बस फिर से ये लम्हा अपनी
शुरूआती दौर में आया था।
आँखों में आँसूओं का सैलाब लिये
अध्यापकों की आखों का तारा
लोगो के दिलों का राजा
ये कहानी थी उस पंछी की
जो अब अपने घर से दूर जा रहा था!
– दुर्गेश पाल

दुर्गेश पाल
Alumni Of JNV Hardoi, U.P.
Batch:- 2011-2018
You Can Follow Him On Instagram By Clicking The Below Button
Post Background Image Credits
Photo by Paweł Czerwiński on UnsplashTags
#jnvfamily.in, #दुर्गेश पाल, #jnv, #jnv U.P., #jnv Hardoi, # JNV UttarPradesh, #hindipoetry, #poetryislife, #poetryisnotdead, #नवोदय: एक अनोखा पिंजरा, #Navodaya: Ek Anokha Pinjra,